लोकतंत्र वाणी / संवाददाता
केजीएमयू के ट्रामा सेंटर में 500 बेड की बढ़ोतरी, प्रमुख शहरों के ट्रामा सेंटर होंगे अपग्रेड
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में घायलों को त्वरित और बेहतर इलाज उपलब्ध कराने के लिए सरकार कई महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में राज्य सड़क सुरक्षा परिषद ने प्रदेशभर के ट्रामा सेंटरों और इमरजेंसी वार्डों को अपग्रेड करने की योजना बनाई है। इसके तहत कानपुर, प्रयागराज, मेरठ और गोरखपुर के लेवल-2 ट्रामा सेंटरों को लेवल-1 में अपग्रेड किया जा रहा है। वहीं, केजीएमयू, लखनऊ के ट्रामा सेंटर में 500 अतिरिक्त बेड जोड़े जा रहे हैं, जिससे इसकी क्षमता 460 से बढ़कर 960 हो जाएगी।
प्रत्येक मेडिकल कॉलेज में इमरजेंसी सुविधाओं का विस्तार
प्रदेश के सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों की इमरजेंसी विंग को और सशक्त बनाया जा रहा है। इनमें सीटी स्कैन, एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड जैसी अत्याधुनिक सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं। इसके लिए वर्ष 2024-25 के बजट में 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, ट्रामा सेंटरों में निश्चेतक, अस्थि रोग विशेषज्ञ, जनरल सर्जन और ईएमओ पद सृजित किए गए हैं ताकि घायलों को तुरंत उपचार मिल सके।
एनईएलएस प्रोग्राम के तहत डॉक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ का विशेष प्रशिक्षण
नेशनल इमरजेंसी लाइफ सपोर्ट (एनईएलएस) प्रोग्राम के तहत प्रदेश में इमरजेंसी केयर को और उन्नत किया जा रहा है। बीएचयू, वाराणसी और गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में कौशल विकास केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जबकि कानपुर, आगरा, मेरठ, झांसी और प्रयागराज में भी ऐसे केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं। डब्ल्यूएचओ और एम्स दिल्ली के सहयोग से 300 से अधिक डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को इमरजेंसी केयर का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
108 एंबुलेंस का रिस्पांस टाइम घटकर 8:23 मिनट हुआ
रोड एक्सीडेंट में घायल व्यक्तियों को समय पर इलाज दिलाने के लिए 108 एंबुलेंस सेवा का रिस्पांस टाइम 15 मिनट से घटाकर 8:23 मिनट कर दिया गया है। इसके लिए एंबुलेंस तैनाती और कॉल रिस्पांस को और प्रभावी बनाया गया है।
2916 फर्स्ट रिस्पॉन्डर ‘आपदा मित्र’ तैयार
घायलों को प्राथमिक उपचार देने के लिए प्रदेश में 2916 फर्स्ट रिस्पॉन्डर ‘आपदा मित्र’ प्रशिक्षित किए गए हैं। ये लोग सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को तत्काल प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध कराएंगे।
सड़क दुर्घटनाएं रोकने के लिए ड्राइवरों की स्वास्थ्य जांच
राज्य सड़क सुरक्षा परिषद ने दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सभी सरकारी बस ड्राइवरों के स्वास्थ्य की नियमित जांच का निर्देश दिया है। अब तक 18,230 ड्राइवरों की स्वास्थ्य जांच हो चुकी है, जिसमें 1,721 ड्राइवर अनफिट पाए गए हैं और उन्हें ड्यूटी से हटा दिया गया है।
सरकार के इन प्रयासों से सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को ‘गोल्डन ऑवर’ में बेहतर इलाज मिल सकेगा और मृत्यु दर में कमी आएगी।
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