भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक की। आरबीआई ने 8 अगस्त 2024 की समीक्षा बैठक में रेपो रेट को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला लिया। उसकी उम्मीद पहले ही जताई जा रही थी। बता दें कि जून में मुद्रास्फीति (महंगाई दर) 5% के पार जाने और उच्च खाद्य कीमतों के चलते हेडलाइन रेट पर दबाव बना हुआ है, जो इस फैसले को प्रभावित कर सकता है। केंद्रीय बैंक ने फरवरी 2023 से रेपो रेट को स्थिर रखा था।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया- “मौद्रिक नीति समिति ने 4:2 के बहुमत से पॉलिसी रेपो दर को 6.5% पर अपरिवर्तित रखने का फैसला लिया है। इसके बाद स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी (SDF) दर 6.25% पर और मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF) दर और बैंक दर 6.75% पर बनी रहेगी।”
उधर, वैश्विक बाजारों में पिछले दिनों में अस्थिरता बढ़ गई है, क्योंकि अमेरिकी इकोनॉमी के मंदी में जाने की प्रबल संभावना के डर से निवेशकों ने बड़े पैमाने पर स्टॉक में बिकवाली की है।
1 रेपो दर (Repo Rate): बाजार विशेषज्ञों को उम्मीद थी कि 8 अगस्त की घोषणा में नीतिगत रेपो दर और मौद्रिक रुख अपरिवर्तित रहेगा। डॉयचे बैंक एजी के भारत के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने ब्लूमबर्ग को बताया, “हम उम्मीद करते हैं कि अगस्त नीति में नीतिगत रेपो दर और मौद्रिक रुख अपरिवर्तित रहेगा।”
2 मुद्रास्फीति: भारत की मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत के लक्ष्य स्तर से ऊपर है, जो वर्तमान में 4.9 प्रतिशत है। गवर्नर दास ने पहले आगाह किया था कि लक्ष्य या अपेक्षा से पहले दर में कटौती न करें। मुद्रास्फीति जुलाई और अगस्त में कुछ हद तक कम हो सकती है, लेकिन सितंबर में इसके बढ़ने की उम्मीद है।
3 वैश्विक केंद्रीय बैंक: दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने अपने रुख को बदला है या बदलने की सोच रहे हैं। जापान के बैंक ने इस साल दूसरी बार ब्याज दरें बढ़ाई हैं और इंग्लैंड के बैंक ने अपनी प्रमुख ब्याज दरों में कटौती की है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व भी दर कटौती की दिशा में देख रहा है क्योंकि निवेशकों के बीच मंदी का डर बढ़ गया।
4 जेपी मॉर्गन बॉन्ड इंडेक्स लिक्विडिटी: आरबीआई की अगस्त 8 की मौद्रिक नीति बैठक की घोषणा देश के बॉन्ड्स के जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट्स बॉन्ड इंडेक्स में शामिल होने के बाद पहली बैठक है।