मौसम की मार : ओपीडी में आने वाले 60 से 80 फीसदी को है बुखार

सीएचसी व सभी पीएचसी पर पर्याप्त दवाइयां व उपचार: डॉ.विजय कुमार

लोकतंत्र वाणी / आशीष चंद्रमौलि

बडौत। तहसील क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक तथा बच्चों से लेकर बड़ों तक बदले मौसम का मिजाज बुखार के रूप में परेशानी का सबब बनकर टूट पडा है। निजी से लेकर सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड लगातार बढ़ रही है।

तेजी से फैल रहे बुखार ने लोगों की परेशानी बढ़ा रखी है। विशेषकर बच्चों को इस बदले मौसम के बीच सुरक्षित रख पाने में नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं। निजी अस्पतालों में बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है जो वास्तव में चिंता का विषय है। सरकारी अस्पतालों में बुखार पीड़ित मरीजों की संख्या में भी रोजाना इजाफा हो रहा है।बुखार ने तहसील क्षेत्र के गांवों में भी पैर पसार रखे हैं। बताया जा रहा है कि,यह मौसमी बुखार बड़ों से ज्यादा बच्चों पर भारी पड़ रहा है। आलम यह है कि नन्हें मुन्नें बच्चों को निमोनिया, टायफाइड जैसे खतरनाक बुखार अपनी जकड़ में लिए हुए हैं, जिससे अभिभावकों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ देखी जा सकती हैं। छोटे बच्चों को बचाकर सुरक्षित रखने में अच्छी खासी मशक्कत भी इन अभिभावकों को करनी पड़ रही है, लेकिन इसके बावजूद बुखार पीड़ित बच्चों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

निजी अस्पतालों से लेकर सीएचसी तक में बुखार पीड़ित बच्चों की संख्या में एक सप्ताह के भीतर आश्चर्यजनक रूप से इजाफा हुआ है।वहीं डेंगू के मरीज भी अस्पतालों में भर्ती होने शुरू हो चुके हैं। ऐसा लगता है ,गत वर्ष की भांति इस बार भी डेंगू व वायरल के पीड़ितों से अस्पताल भर जाएंगे और स्थिति खराब होगी।बताया गया है कि, सीएचसी पर प्रतिदिन 400 ओपीडी हो रही हैं , इनमे से 60 प्रतिशत मरीज बुखार के आ रहे हैं ,यह चिंता का विषय भी है। कुछ दिनों पहले बड़ौत में एक युवक की बुखार के कारण मौत तक हो गई थी।

क्षेत्र के विभिन्न गांवों के काफी संख्या में बुखार पीड़ितों का बड़ौत के अस्पतालों में भी इलाज चल रहा है। कुछ को डेंगू तक बताया गया है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड इनकी पुष्टि नहीं कर रहा। सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार का कहना है कि , प्रतिदिन 200 से अधिक मरीज ओपीडी में आ रहे हैं, इनमें से 80 फीसदी बुखार से पीड़ित हैं। डेंगू की पुष्टि किसी में नहीं। अभी तक डेंगू के मरीज अस्पताल में नहीं आए हैं, मगर वायरल बुखार आने पर प्लेटलेट्स कम होती ही है, जिनका उपचार जारी है।

स्वास्थ्य विभाग की सर्तकता जरूरी

जिस तरह से तहसील क्षेत्र में बुखार ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं, ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य विभाग को सतर्क होना होगा, वर्ना स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही चिंताजनक स्थिति पैदा कर सकती है। बुखार से पीड़ित बच्चों के परिजनों का कहना है कि ,स्वास्थ्य विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों में कैंप करना चाहिए तथा पीड़ित बच्चों व बड़ों का वहीं पर उपचार व दवाइयां वितरित करनी चाहिएं। सीएचसी अधीक्षक डॉ विजय कुमार का कहना है कि, स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरे इंतजाम किए गए हैं। सीएचसी व सभी पीएचसी पर सभी तरह की व्यवस्था को अमलीजामा पहना दिया गया है। इसके अलावा गांवों में टीमें भेजकर स्वास्थ्य कैंप भी लगाने शुरू कर दिए गए हैं।

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