भगवान इस धरा पर सज्जनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार करते हैं:प्रेमा आचार्य जी महाराज

लोकतंत्र वाणी / संवाददाता
गढ़मुक्तेश्वर।

गढ़मुक्तेश्वर के ऐतिहासिक पौराणिक प्राचीन गंगा मंदिर के प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन प्रेमा आचार्य जी महाराज ने भगवान के 24 अवतारों की कथा के साथ-साथ समुद्र मंथन की बहुत ही रोचक एवं सारगभिता कथा सुनाते हुए कहा कि यह संसार भगवान का एक सुंदर बगीचा है । यहां 84 लाख योनियों के रूप में भिन्न-भिन्न प्रकार के फूल खिले हुए हैं जब-जब कोई अपने गलत कर्मों द्वारा संसार रूपी भगवान के बगीचे को नुकसान पहुंचाने की चेष्टा करता है तब तक भगवान इस धरा धाम पर अवतार लेकर सज्जनों का उद्धार और दुर्जनों का संघार करते हैं।

समुद्र मंथन की कथा सुनाते हुए कहा कि मानव ह्रदय ही संसार सागर है। मनुष्य के अच्छे और बुरे विचार ही देवता और दानव के द्वारा किया जाने वाला मंथन है। कभी हमारे अंदर अच्छे विचारों का चिंतन मंथन चलता रहता है और कभी हमारे ही अंदर बुरे विचारों का चिंतन मंथन चलता है।
कथा के प्रारंभ में श्रीमद् भागवत भगवान का पूजन कर आरती उतारी गई। मुख्य अजमान उमेश शर्मा एवं पूनम शर्मा रहे। कथा में संतोष कौशिक, शशि कौशिक, प्रेम शर्मा, बबलू तिवारी, वेदव्रत द्विवेदी, लकी कौशिक, हनी शर्मा, तुषार शर्मा, वरुण कौशिक, काशी शर्मा, ऋषभ कौशिक, सतेंद्र शर्मा, गोल्डी कौशिक, आनंद शर्मा, सतीश शर्मा, शुभ दुबे, सोनू कौशिक, अनुज शर्मा, आदि सैकड़ो भक्तजन मौजूद रहे।

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