बरेली। बरेली की कुल नौ विधानसभाओं में एक मात्र विधायक ऐसा है. जिसने पहली वार में ही सियासी शतरंज के बल पर न सिर्फ विधायकी का चुनाव जीता. बल्कि बरेली में अपना नाम रोशन कर दिखाया. सही मायने में अगर देखा जाये तो जेल के अन्दर हुई मुलाकातों ने इस नेता को और मजबूत कर इस मुकाम तक पहुँचाने में मदद की है. हम बात कर रहे हैं बिथरी पूर्व विधायक राजेश कुमार मिश्रा उर्फ पप्पू भरतौल की.
राजेश कुमार मिश्रा उर्फ़ पप्पू भरतौल का जन्म बरेली से सटे बिथरी विधानसभा के संपन्न ब्राहमण परिवार में हुआ. इनके पिता भोजदत्त मिश्रा संघ विचारधारा के थे. 15 साल की उम्र से राजेश मिश्रा संघ के लिए काम करने लगे. अगर आरक्षित सीट को छोड़ दिया जाए तो सरपंच से लेकर प्रधानी तक पर इनके परिवार का कब्जा रहा. भाजपा ने बिथरी सीट से विधायक लड़ने का मौका दिया और जीतने में सफल रहे.
बुलंदियों को छूने का जज्बा रखते है मिश्रा जी
जिस बरेली की माटी की पहचान हिंदू-मुस्लिम एकता के रूप में होती है. उसी माटी ने एकता के बल पर संघ की राजनीति से इन्हे शिखर तक पहुँचाया. किसी ने खूब कहा है कि कौन कहता है कि आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो. इन लाईनों को बरेली की मिट्टी में पैदा हुए हिम्मती, साहसिक और जुनूनी राजेश मिश्रा ने कर दिखाया और बुलंदियों के आसमान पर अपना झंडा गाड़ दिया.
उत्पीड़न से मुक्ति पाने की ललक से मिला ये मुकाम
हर इंसान की आगे बढ़ने की ललक होती है. लेकिन यहाँ उत्पीडन से मुक्ति पाने की ललक ने राजेश कुमार मिश्रा उर्फ़ पप्पू भरतौल को ऐसे मुकाम तक पहुंचा दिया. वह बताते है कि बसपा सरकार के दौरान क्षेत्रीय विधायक रहे वीरेंद्र सिंह ने उनका उत्पीडन कर गाँव से भागने, फर्जी मुकदमे दर्ज कराने के अलावा तरह तरह से प्रताड़ित किया. कार सेवा के समय उन्हें जेल भी जाना पड़ा. बताते है कि 2007 – 2012 के बीच उनका खूब उत्पीडन किया गया. लेकिन हिम्मत नहीं हारी. 1986 में पूर्व विधायक से राजनैतिक लडाई शुरू हुई. 1988 प्रधानी के चुनाव में वीरेंद्र सिंह के मुकाबले राजेश कुमार मिश्रा उर्फ़ पप्पू भरतौल ने टीकाराम को मैदान में उतारा और जीत हासिल की और 2017 में विधायकी के चुनाव में भी जीत हासिल कर अपना लोहा मनवा लिया.
इनसे सीखे हैं राजनीतिक दाबपेंच
पूर्व विधायक राजेश कुमार मिश्रा उर्फ़ पप्पू भरतौल के राजनैतिक गुरु बरेली पूर्व सांसद संतोष गंगवार है. पूर्व विधायक ने इनके संरक्षण में सियासी दाब चलाने सीखे और धुरंधरों को मात देने की महारत हासिल की. जेल में इनकी मुलाकात नवाबगंज विधायक केसर सिंह गंगवार से हुई जो दोस्ती में बदल गई. आज बरेली की राजनीति में सबसे पहले राजेश कुमार मिश्रा उर्फ़ पप्पू भरतौल और केसर सिंह का नाम आता है. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक से भी 2004 से इनकी नजदीकियां जग जाहिर हैं.
जनता की सेवा करना है लक्ष्य
पूर्व विधायक राजेश कुमार मिश्रा उर्फ़ पप्पू भरतौल कहते है कि सीएम योगी जी के अनुभवों से बरेली में काम करा रहे है. जो अफसर जनता का काम नहीं करेंगे. उन्हें बरेली में काम नहीं करने दिया जायेगा. बताते चलें कि तत्कालीन डीएम पिंकी जोवल व सीओ एलआईयू राकेश पाण्डेय को इसी के चलते बरेली बिदा होना पड़ा था.
पूर्व विधायक राजेश कुमार मिश्रा उर्फ़ पप्पू भरतौल जब चुनाव लड़ रहे थे एक नारा प्रदेश में बहुत मशहूर हुआ था जो की बच्चे बच्चे की जवान पर था ।
तमंचा न पिस्तौल,,, बरेली में पप्पू भरतौल,,